Free Ration Distribution – लाखों लोगों को मिलने वाला सस्ता राशन अब खतरे में है। वजह? डिपो संचालकों की नाराज़गी जो अब खुलकर सामने आ चुकी है। डिपो वालों ने साफ कह दिया है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो 1 मई से वो राशन बांटना बंद कर देंगे।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, हिमाचल में जो राशन डिपो चलते हैं, उन्हें चलाने वाले लोग काफी समय से परेशान हैं। उनका कहना है कि सरकारी सिस्टम में काफी गड़बड़ियां हैं — जैसे सर्वर बार-बार डाउन हो जाता है, इंटरनेट की स्पीड बेहद स्लो है और सबसे बड़ी बात, उन्हें सही से मेहनताना नहीं मिल रहा।
डिपो संचालकों का कहना है कि वो दिनभर मेहनत करते हैं, लोगों को राशन देने के लिए कई बार खुद ही खर्च उठाते हैं, लेकिन बदले में उन्हें ठीक से कमाई नहीं हो पा रही। ऊपर से सिस्टम की तकनीकी दिक्कतें और सरकार के अधूरे वादे, उनकी मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं।
चुनावों में किए थे बड़े-बड़े वादे
याद दिला दें कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने कई वादे किए थे। इनमें से एक वादा ये भी था कि हर डिपो संचालक को हर महीने 20 हजार रुपये वेतन दिया जाएगा और सभी डिपो में हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा होगी। लेकिन सरकार बने अब ढाई साल हो चुके हैं और डिपो संचालकों को न वेतन मिला, न इंटरनेट की सुविधा ठीक हुई।
अब डिपो वाले कह रहे हैं कि “बस बहुत हुआ, अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उनका कहना है कि जब फाइव-जी जमाना आ गया है, तब भी उन्हें टू-जी स्पीड पर काम करना पड़ रहा है, जिससे सिस्टम अक्सर क्रैश हो जाता है और लोगों को बार-बार राशन लेने के लिए आना पड़ता है।
कमाई में भी हो रहा घाटा
डिपो वालों की एक और बड़ी परेशानी है—कमीशन। उन्हें कुल बिक्री पर सिर्फ 4% कमीशन मिलता है। इसका मतलब अगर वो एक लाख रुपये का राशन बेचते हैं, तो उन्हें सिर्फ 4 हजार रुपये मिलते हैं। अब सोचिए, उसी पैसे से उन्हें दुकान का किराया, बिजली का बिल, पीओएस मशीन की देखभाल—सब कुछ मैनेज करना पड़ता है। इससे तो मुश्किल से खर्च ही निकलता है, मुनाफा तो दूर की बात है।
सरकार को दिया अल्टीमेटम
डिपो संचालकों ने सरकार से साफ कह दिया है कि 30 अप्रैल तक अगर इंटरनेट की दिक्कतें दूर नहीं हुईं और जो वादे किए थे वो पूरे नहीं किए गए, तो 1 मई से राशन वितरण बंद कर देंगे। इसका असर सीधे उन लाखों लोगों पर पड़ेगा, जो हर महीने सस्ते राशन के भरोसे रहते हैं।
क्या होगा आम जनता का?
अगर डिपो संचालकों ने वाकई में राशन बांटना बंद कर दिया, तो पूरे प्रदेश में सस्ते राशन की उपलब्धता पर असर पड़ेगा। गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सबसे ज्यादा दिक्कत होगी, जो हर महीने का राशन इन्हीं डिपो से लेते हैं। पहले ही महंगाई ने कमर तोड़ रखी है, ऊपर से अगर सस्ता राशन भी न मिले, तो लोगों का गुज़ारा करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
सरकार को क्या करना चाहिए?
सरकार को चाहिए कि वो इस मसले को गंभीरता से ले। चुनावी वादे करना आसान होता है, लेकिन उन्हें निभाना ही असली ज़िम्मेदारी होती है। डिपो संचालकों की बातें एकदम सही हैं — अगर उन्हें काम के हिसाब से मेहनताना नहीं मिलेगा और सिस्टम सहयोग नहीं करेगा, तो वो कैसे अपनी जिम्मेदारी निभा पाएंगे?
सिर्फ चेतावनी मिलने पर जागने की बजाय, सरकार को चाहिए कि वो डिपो संचालकों से बात करे, उनकी परेशानियां समझे और समय रहते समाधान निकाले। वरना 1 मई के बाद जो हालात बनेंगे, उससे न डिपो वालों को राहत मिलेगी, न जनता को।
अगर आप भी हिमाचल प्रदेश से हैं और राशन डिपो से राशन लेते हैं, तो आने वाले दिनों में थोड़ी मुश्किल हो सकती है। ऐसे में सरकार और डिपो संचालकों दोनों से यही उम्मीद की जा सकती है कि मिल-बैठकर इसका हल जल्द निकाला जाए।