Atal Kisan Mazdoor Canteen – हरियाणा के फतेहाबाद जिले के रतिया इलाके से एक अच्छी खबर आई है। अब वहां के किसानों और मजदूरों को सस्ता और पौष्टिक खाना मिलने वाला है। सरकार की एक नई पहल के तहत अटल किसान-मजदूर कैंटीन की शुरुआत की गई है, जहां सिर्फ 10 रुपये में भरपेट खाना मिलेगा। इस योजना का मकसद है – मेहनतकश किसानों और मजदूरों को कम कीमत में अच्छा खाना देना ताकि उनका स्वास्थ्य बना रहे और जेब पर बोझ भी न पड़े।
कैंटीन का उद्घाटन और सुनीता दुग्गल का संबोधन
इस कैंटीन का उद्घाटन वीरवार को पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने किया। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि देश की तरक्की के पीछे सबसे बड़ी ताकत हमारे किसान और मजदूर हैं। उनकी मेहनत से ही खेतों में अनाज उगता है और देश की अर्थव्यवस्था चलती है। इसलिए सरकार की ये जिम्मेदारी बनती है कि उनके लिए कुछ ऐसा किया जाए जिससे उन्हें राहत मिले।
उन्होंने आगे बताया कि ये कैंटीन सिर्फ खाना देने की जगह नहीं है, बल्कि सरकार की उस सोच का हिस्सा है जो हर वर्ग के लिए काम कर रही है। ये पहल खासतौर पर उन लोगों के लिए है जिनकी आमदनी बहुत कम है, जो दिनभर मेहनत करते हैं लेकिन सही खानपान का खर्च नहीं उठा पाते।
फतेहाबाद में पहले से चल रही है ऐसी कैंटीन
सुनीता दुग्गल ने बताया कि फतेहाबाद जिले में पहले भी ऐसी एक कैंटीन चलाई जा रही है और वहां भी मजदूरों को सिर्फ 10 रुपये में भरपेट खाना मिल रहा है। उन्होंने कहा कि रतिया में शुरू हुई यह नई कैंटीन भी उसी सोच का विस्तार है और उम्मीद है कि यह भी उतनी ही सफल होगी।
गेहूं की फसल खरीद पर सरकार का फोकस
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने गेहूं की फसल की खरीद को लेकर भी बात की। उन्होंने बताया कि सरकार पूरी तरह से सक्रिय है और किसानों को मंडियों में हर संभव सुविधा देने की कोशिश की जा रही है। सरकार का फोकस है कि कोई भी किसान अपनी फसल बेचने में परेशानी महसूस न करे और उसे उसकी उपज का सही दाम मिले।
उन्होंने कहा कि मंडियों में जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं – साफ-सफाई, छांव की व्यवस्था, पेयजल और फसल की तौल में पारदर्शिता जैसे पहलुओं पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
सिर्फ खाना नहीं, यह एक भरोसा है
अटल किसान-मजदूर कैंटीन सिर्फ एक खाने की जगह नहीं है, यह उन लोगों के लिए एक भरोसा है जो दिनभर मेहनत करते हैं। यह कैंटीन दिखाती है कि सरकार सिर्फ घोषणाएं नहीं कर रही, बल्कि जमीन पर उतर कर आम लोगों की तकलीफें समझने और उन्हें दूर करने की कोशिश कर रही है।
समाज में बढ़ रही है जागरूकता
इस कैंटीन की शुरुआत ने स्थानीय लोगों के बीच एक नई ऊर्जा भर दी है। खासकर रतिया और आसपास के इलाकों में लोग इसे एक मिसाल मान रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि ऐसी योजनाओं से न सिर्फ किसानों और मजदूरों को राहत मिलती है, बल्कि समाज के बाकी लोग भी प्रेरित होते हैं कि जरूरतमंदों की मदद कैसे की जाए।
दूसरे राज्यों में भी हो सकता है विस्तार
रतिया में इस योजना की शुरुआत के बाद उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वक्त में दूसरे राज्यों में भी ऐसी कैंटीनें खुलेंगी। अगर यह मॉडल सफल होता है, तो पूरे देश के किसानों और मजदूरों को इसका फायदा मिल सकता है।
क्यों जरूरी है ऐसी पहल
आज के समय में जब महंगाई लगातार बढ़ रही है, ऐसे में 10 रुपये में भरपेट पौष्टिक खाना मिलना किसी वरदान से कम नहीं। मजदूरों और किसानों को अक्सर सस्ता और अच्छा खाना नहीं मिल पाता, जिससे उनकी सेहत पर असर पड़ता है। ऐसे में अटल कैंटीन जैसी योजनाएं न सिर्फ उनकी जेब का ख्याल रखती हैं बल्कि उन्हें सेहतमंद रखने में भी मदद करती हैं।
सरकार अगर चाहे तो जमीनी स्तर पर भी बदलाव ला सकती है। रतिया में अटल किसान-मजदूर कैंटीन इसकी एक शानदार मिसाल है, जो आने वाले समय में लाखों लोगों के जीवन में बदलाव ला सकती है।